Monday, May 26, 2014

The real worship.....

The real worship.....

जपो जल्पः शिल्पं सकलमपि मुद्रा विरचना
गतिः प्रादक्षिण्य क्रमणमशनाद्याहुति विधिः ।
प्रणामः संवेशः सुखमखिलमात्मार्पण दृशा
सपर्या पर्यायस्तव भवतु यन्मे विलसितम् ॥

यहाँ मेरा कथन जो भी सभी कुछ हो तुम्हारा जप
क्रियायें हो जाँय सब मुद्रा तुम्हारे अर्चना की
हलन चलन प्रदक्षिणा हो सब तुम्हारी मूर्ति का ही
हमारी भोजन क्रियायें सब तुम्हारी आहुती हों
शयन हो साष्टांग प्रणति
समस्त जो सुखभोग मेरे वे तुम्हारे हेतु ही हो जाँय
आत्मार्पण दशायें
इस तरह सकल चेष्टायें हमारी
हे सदा सौभाग्यदा!
बस तुम्हारे समर्चन की पर्याय बन जायें ॥

May all my words be the praise... my walking is like circumambulating you...all gestures be the supplication...Let my sleep be your prayer...all enjoyments be they dedication...may all my action worship thee..

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